Writer, लेखक, शायर या फिर कवी इन सब की ज़िंदगी में ऐसा पल हमेशा आता है जब ये शब्दों को अपनी कला के इत्र से सुगंधित करते हैं, ये जो भी लिखते है वो हीरा बन जाता है, और इन्हें ये गुमाँ हो जाता है कि इनकी शब्दों की श्याही कभी सूखेगी नही।
पर इनके जीवन में एक वक़्त ऐसा भी आता है जब इनके पास शब्द तो बहुत होते है, भाव भी होता है, पर कलम नहीं चलती है।
ये कुछ ऐसा ही है जैसे किसी से मोहब्बत हो जाये आप कहना तो बहुत कुछ चाहो पर कुछ कह ना पाओ।
———————————-
———————————
दिल में एक दर्द उठे,
इज़हार न कर पाने की कसक चुभे।
ऐसा ही कुछ शायर के साथ होता है,
दिल की किताब के पन्नो को फाड़कर,
वो सारी रात रोता है।।
———————————————————————–
मैं कोई शायर तो नहीं, पर हाँ थोड़ा बहुत लिख लेता हूँ। मेरे साथ भी कुछ ऐसा ही हो रहा है कुछ दिन से, लिखना चाहता हूँ पर लिख नही पाता हूँ।।
हमे खुद से ही लड़ना पड़ता है, ऐसा एहसास होता है मानो की वो लिखने की काबिलियत मुझसे रूठकर मायके चली गई हो, और बिन उसके लिक्खु कैसे।।
*****************
अब उसे मनाने का वक़्त है,
क्योंकि बिन उसके जीवन चलेगा नहीं।
और अगर वि हमेशा के लिए रूठ गई,
तो ” दिल की किताब ” का अस्तित्व रहेगा नहीं।।
******************
पिछले कुछ वक़्त से जो बीत रहा है मेरे साथ उसे एक पन्ने पर उतारा है-
कुछ पन्ने कोरे हैं,
कुछ तोड़े मरोड़े है।
कुछ पर श्याही फैली है,
कुछ ने अंतिम साँस लेली है।।
शब्दों का अंबार भरा है दिल में,
भावनाओं की नदियाँ बह रही हैं।
सब मशगूल है अपनी ज़िंदगी में,
कोई तो सुनो मेरी कलम क्या कह रही है।।
मैं लिखता हूँ,
मिटाता हूँ।
कुछ दर्द दिखाता हूँ,
कुछ छिपाता हूँ।।
मैं कल तक कहता था- मेरे शब्द ही मेरी पहचान है।
आज ये बिखरे हुए हैं, मानो शब्दों का कोई शमशान है।।
क्या लिक्खु कलम से दर्द किसी और का जब अपने दिल की हालत नाजुक हो।
जरुरी तो नही हर बार पढ़ने वाला भावुक हो।।
टूट सा गया हूँ कुछ इस तरह की खड़ा नहीं होना चाहता हूँ।
अटक गया हूँ शब्दों के जाल में और निकलना नही चाहता हूँ।।
कमी नही है कहानियों की पास मेरे।
पर शब्द रुपी मोती को धागे में पिरो देने का तरीका भूल गया हूँ।।
मोती बिखर चुके है,
धागा टूट गया है।
दिल में शब्द हज़ारों है,
पर कलम का साथ छूट गया है।।
सोचता हूँ फिर कारवाँ शुरू कर लिखने का।
पर अब डर लगा रहता है गिरने का।।
क्या हुआ जो कलम रुक गई है।
अब शब्दों की श्याही नई है।।
नया सफर होगा,
नया अवतार होगा।
नई कहानी होगी,
मेरी ज़ुबानी होगी।।
कलम जो रुकी थी कुछ देर,
अब दौड़ने लगेगी।
कुछ पन्ने खाली रह गए थे,
अब मेरे दिल की किताब भरी मिलेगी।।
मैं लिक्खूँगा पर साथ आपका चाहिये होगा,
अच्छा लिक्खु या बुरा सब आपके हवाले होगा।।
मैं हमेशा लिखता हूँ बस इतनी सी करना कामना।
जो लड़खड़ायें कदम फिरसे, तो तुम मेरा हाथ थामना।।
©mयंक